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2 मिनट के इस वीडियो में देखें गुलाबी नगरी जयपुर की स्थापत्य कला में छिपे राजपूती वैभव के रहस्य

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जयपुर, जिसे "गुलाबी नगर" के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी है। यह शहर अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, भव्य महलों, अनूठी वास्तुकला और जीवंत बाजारों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जयपुर न सिर्फ राजस्थान का प्रमुख शहर है बल्कि एक बड़ा पर्यटन केंद्र भी है जो हर साल लाखों देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

इतिहास और स्थापना

जयपुर की स्थापना 18वीं शताब्दी में आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी। आमेर का किला और उसकी सीमित जल आपूर्ति को देखते हुए, सवाई जय सिंह ने एक नए, योजनाबद्ध शहर का निर्माण करवाने का निश्चय किया। 1727 ईस्वी में जयपुर का निर्माण शुरू हुआ। यह भारत का पहला योजनाबद्ध शहर माना जाता है, जिसे वास्तुशास्त्र और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बसाया गया था। इस शहर की रूपरेखा प्रसिद्ध वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य द्वारा तैयार की गई थी।

वास्तुकला

जयपुर की वास्तुकला अद्वितीय है। पूरे शहर को ग्रिड प्रणाली पर बसाया गया, जिसमें चौड़ी सड़कें, संगठित बाजार और वर्गाकार आवासीय क्षेत्र बनाए गए। शहर की सबसे बड़ी खासियत इसकी गुलाबी रंग की इमारतें हैं, जिसे 1876 में वेल्स के प्रिंस के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगा गया था। प्रमुख स्थापत्य धरोहरों में हवा महल, सिटी पैलेस, जंतर मंतर (जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है), और आमेर किला शामिल हैं। हवामहल की पाँच मंजिला जालीदार खिड़कियाँ और जंतर मंतर की खगोलीय संरचनाएँ इसकी उत्कृष्ट वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण हैं।

जनसंख्या और क्षेत्रफल

जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है। 2021 की अनुमानित जनगणना के अनुसार, जयपुर की आबादी लगभग 42 लाख से अधिक है। यह देश के सबसे तेजी से बढ़ते महानगरों में से एक है। जयपुर का कुल क्षेत्रफल लगभग 467 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की आबादी में विविधता देखने को मिलती है — राजस्थानी, मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी, मुस्लिम और जैन समुदाय यहाँ बड़ी संख्या में निवास करते हैं।

संस्कृति

जयपुर की संस्कृति राजपूती परंपराओं, लोक कला और त्योहारों से परिपूर्ण है। यहाँ का पारंपरिक संगीत, नृत्य, लोककथाएँ और मेलों की धूम पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है। गणगौर, तेजाजी, कजली तीज, और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजन यहाँ की सांस्कृतिक पहचान हैं। महिलाएँ पारंपरिक लहंगा-चोली और पुरुष साफा पहनते हैं। यहाँ के हस्तशिल्प, रंग-बिरंगी पगड़ियाँ, गहने और कढ़ाईदार कपड़े पूरी दुनिया में मशहूर हैं।

बाजार

जयपुर के बाजार इसकी शान हैं। यहाँ के बाजार न केवल व्यापार के केंद्र हैं, बल्कि यहाँ की संस्कृति की जीवंत झलक भी दिखाते हैं। जौहरी बाजार सोने-चाँदी के आभूषणों के लिए प्रसिद्ध है, जबकि बापू बाजार और नेहरू बाजार कपड़ों, जूतों और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं। त्रिपोलिया बाजार राजस्थानी हस्तशिल्प और पारंपरिक आभूषणों का सबसे पुराना बाजार है। जयपुर में मिलने वाली मोहरी रजाई, ब्लॉक प्रिंटिंग कपड़े और मीनाकारी के गहने पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

उद्योग

जयपुर का औद्योगिक विकास भी उल्लेखनीय है। पारंपरिक उद्योगों में हस्तशिल्प, आभूषण निर्माण, काँच उद्योग, कालीन निर्माण और कपड़ा उद्योग प्रमुख हैं। इसके साथ ही, जयपुर अब सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से उभर रहा है। महिंद्रा वर्ल्ड सिटी, EPIP सिटीज़ोन जैसे औद्योगिक क्षेत्रों ने जयपुर को आधुनिक व्यावसायिक शहर के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पर्यटन उद्योग जयपुर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

निष्कर्ष
जयपुर एक ऐसा शहर है जो इतिहास, परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यहाँ की अनूठी वास्तुकला, जीवंत बाजार, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विकासशील औद्योगिक ढांचा इसे भारत के सबसे शानदार शहरों में शामिल करता है। जयपुर न केवल राजस्थान की शान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा को भी दर्शाता है।

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