राजस्थान का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर प्रेत बाधाओं और तांत्रिक शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि रहस्य और अलौकिक घटनाओं का केंद्र भी माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेहंदीपुर ही नहीं, भारत में ऐसे और भी कई बालाजी मंदिर हैं जहां प्रेत बाधा, ऊपरी साया और अज्ञात शक्तियों से मुक्ति के लिए श्रद्धालु उमड़ते हैं?इन मंदिरों में बालाजी की पूजा सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति की तरह की जाती है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ रहस्यमयी और अलौकिक मंदिरों के बारे में, जहां न केवल भक्ति का भाव दिखता है, बल्कि आत्माओं से जुड़ी अनकही कहानियां भी सुनाई देती हैं।
1. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (राजस्थान)
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित यह मंदिर हनुमान जी (बालाजी) को समर्पित है और पूरे देश में ‘प्रेतबाधा मुक्ति’ के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर मंगलवार और शनिवार को हजारों लोग पहुंचते हैं — कोई आत्मा की पकड़ से छुटकारा पाने, तो कोई झाड़-फूंक, तांत्रिक बाधाओं से राहत के लिए।मंदिर परिसर में अक्सर देखने को मिलता है कि श्रद्धालु अजीब व्यवहार करते हैं — चीखना, कांपना, खुद को मारना, ज़मीन पर लोटना। पुजारियों द्वारा मंत्रों और रस्मों के ज़रिए "भूत-प्रेत" से मुक्ति दिलाई जाती है। यहां इलाज कराने आने वालों में पढ़े-लिखे, अमीर और सामान्य जन सब शामिल होते हैं।
2. शिरडी के बालाजी मंदिर (महाराष्ट्र)
हालांकि शिरडी को साईं बाबा के कारण जाना जाता है, लेकिन यहां स्थित एक बालाजी मंदिर भी कम रहस्यमयी नहीं है। यहां विशेष पूजा विधियों और भोग के ज़रिए मानसिक तनाव और ऊपरी बाधाओं से राहत मिलती है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि हर शनिवार को यहां आने से प्रेत बाधा और दुर्भाग्य दूर होता है।
3. दतिया का पीतांबरा पीठ (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित पीतांबरा पीठ भी बालाजी के एक रूप और मां बगलामुखी की उपासना का केंद्र है। यहां विशेष रूप से तांत्रिकों और साधकों का जमावड़ा होता है, जो शत्रु नाश, आत्मा बाधा और तंत्र-मंत्र से मुक्ति के लिए साधना करते हैं। यहां के बालाजी मंदिर में भी विशेष अनुष्ठान होते हैं जो मानसिक और आत्मिक शुद्धि में सहायक माने जाते हैं।
4. खैरुआ बालाजी मंदिर (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित खैरुआ बालाजी मंदिर को भी प्रेतबाधा निवारण केंद्र के रूप में देखा जाता है। यहां हर शनिवार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। मंदिर परिसर में भक्त झूमते, कांपते और चिल्लाते देखे जाते हैं, जिनका कहना होता है कि उनके शरीर में कोई और शक्ति बोल रही है।
5. नरसिंह बालाजी मंदिर, भरतपुर (राजस्थान)
राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित यह मंदिर भी तंत्र-मंत्र और आत्मा शुद्धि के लिए प्रसिद्ध होता जा रहा है। यहां की खास बात यह है कि श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने से पहले विशेष नियमों का पालन करते हैं — जैसे सात दिन तक शुद्ध भोजन, मौन व्रत और विशेष पूजा। इस प्रक्रिया को "आत्मिक उपचार" का हिस्सा माना जाता है।
कैसे होता है इलाज?
इन मंदिरों में इलाज को धार्मिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक तीनों दृष्टिकोण से देखा जाता है। आमतौर पर इसका तरीका इस प्रकार होता है:
मंत्रोच्चारण: विशेष रूप से हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण जैसे मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
झाड़-फूंक: कुछ स्थानों पर यह प्रक्रिया पारंपरिक ढंग से होती है, जिसमें नीम की पत्तियां, गंगा जल और राख का प्रयोग किया जाता है।
प्रेत निकासी: प्रभावित व्यक्ति पर ‘आत्मा’ बोलती है, जिसे पुजारी संवाद के माध्यम से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।
सप्ताहिक अनुष्ठान: भक्तों को कुछ सप्ताह तक पूजा विधि, व्रत और नियमों का पालन कराना होता है।
विज्ञान बनाम आस्था
हालांकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ऐसी घटनाओं को हिस्टेरिया, मनोवैज्ञानिक भ्रम या साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर मानता है, लेकिन इन मंदिरों में पहुंचने वाले लोगों के अनुभव अलग ही कहानी कहते हैं। कई लोग दावा करते हैं कि वर्षों तक डॉक्टरों के इलाज से राहत नहीं मिली, लेकिन मंदिर में आकर उनका जीवन बदल गया।
कई मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि धार्मिक विश्वास और सामूहिक चेतना का प्रभाव इतना गहरा होता है कि यह व्यक्ति के मन और शरीर पर असर डाल सकता है।
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