पाकिस्तान में एक्टिवेट एक सिम कार्ड से 15 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया। सिम कार्ड का इस्तेमाल राजस्थान में हो रहा था और यहीं से पूरा ट्रांजेक्शन हुआ। बताया जा रहा है कि पूरा पैसा देश में अलग-अलग जगहों पर की गई साइबर ठगी का है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इस पैसे का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में किया जा सकता है। शुक्रवार रात को असम स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने डीग के सीकरी इलाके से एक आरोपी को गिरफ्तार किया। उसके पास मिला सिम कार्ड इसका सबूत है। इस पूरे मामले पर अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
सबसे पहले पढ़िए- क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक- असम एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार रात 11 बजे डीग के बेला गांव में दबिश दी। आरोपी सद्दीक पुत्र धन्ना को गांव से गिरफ्तार कर डीग थाने लाया गया।असम एसटीएफ के अधिकारी ने बताया- आरोपी सद्दीक के पास मिला सिम कार्ड कई दिनों से पाकिस्तान में एक्टिव था। इसे असम के फर्जी पते के दस्तावेज देकर कश्मीर से खरीदा गया था।सिम को ट्रेस कर हम यहां पहुंचे। आशंका है कि आरोपी इसी सिम के जरिए साइबर ठगी भी कर रहा था। पूछताछ के बाद टीम आरोपी को आज (शनिवार) अपने साथ ले जाएगी।
25 मार्च 2025 को असम की गुवाहाटी स्पेशल टास्क फोर्स को इनपुट मिला था। इसके बाद जकारिया अहमद नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया गया। जकारिया ने पूछताछ में बताया कि उसने हजारों फर्जी सिम बेचे हैं।इनमें से एक सिम कश्मीर से खरीदी गई थी। यह सिम पाकिस्तान में एक्टिव रही। इससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं। जब सिम की लोकेशन ट्रेस की गई तो वह बेला गांव (डीग) में एक्टिव पाई गई।इसके बाद असम एसटीएफ के एसएसपी कल्याण कुमार पाठक के नेतृत्व में एक टीम सीकरी भेजी गई।
5 मोबाइल बरामद, 15 करोड़ का ट्रांजेक्शन मिला
आरोपी के पास से 5 मोबाइल मिले हैं। एक मोबाइल में 15 करोड़ के ट्रांजेक्शन के सबूत मिले हैं। एसटीएफ की टीम सिम के पाकिस्तान कनेक्शन की जांच कर रही है।
संदेह है कि आरोपी साइबर ठगी से कमाए गए पैसे को पाकिस्तान भेजते थे। असम एसटीएफ इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से बच रही है। टीम के मुताबिक फर्जी सिम मामले में देशभर में 10 जगहों पर छापेमारी की गई है।
150 गांवों के हजारों युवा ठगी में लिप्त
राजस्थान के तीन इलाके साइबर ठगी के लिए देशभर में बदनाम हैं। इनमें भरतपुर, अलवर और भिवाड़ी के 150 गांव शामिल हैं। यहां हजारों युवा साइबर ठगी करते हैं और देशभर के अलग-अलग इलाकों से यहां फर्जी सिम आते हैं।यहां जालसाज फर्जी बैंक कर्मचारी बनकर, ओएलएक्स जैसी साइट्स पर फर्जी विक्रेता बनकर कॉल करके रोजाना 3 हजार रुपए तक कमा लेते हैंजालसाज फर्जी दस्तावेज, सिम, अकाउंट और पते का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है। बताया जाता है कि साइबर ठगी की शुरुआत भरतपुर के गांववाड़ी गांव से हुई थी।
आंकड़ों ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है
देश में साइबर ठगी के 70 फीसदी मामले इन्हीं इलाकों से जुड़े हैं। यहां के अनपढ़ या 10वीं फेल युवा कॉल सेंटर वालों की तरह अंग्रेजी में 5-7 वाक्य बोलकर हर दिन 300-400 लोगों को ठग रहे हैं। यानी 3 शहरों के 150 गांवों में 8 हजार साइबर ठग हर दिन 1.6 से 2.4 करोड़ रुपए लूट रहे हैं।
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