राजस्थान के छोटे शहरों और गांवों के स्कूल-कॉलेजों के किशोर और युवा इन दिनों पैसों के लालच में साइबर ठगों के जाल में फंस रहे हैं। ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के लिए वे अपने स्कूल-कॉलेज की छात्रवृत्ति और निजी बैंक खातों को किराए पर दे रहे हैं। इन खातों का इस्तेमाल साइबर अपराधी, अवैध कॉल सेंटर संचालक और क्रिकेट सट्टेबाज अवैध लेन-देन के लिए कर रहे हैं। यह खेल महानगरों से चल रहा है और इसके तार प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों से जुड़े हैं। पूछताछ करने पर कोई न कोई बहाना बना देते हैं संदेह होने पर जब परिजन पूछते हैं तो किशोर और युवा ऑनलाइन काम करने की बात कहकर हकीकत से बच निकलते हैं। अज्ञात लेन-देन के चलते जब इन खातों से लाखों रुपए का लेन-देन होता है तो दूसरे राज्यों की पुलिस अचानक छापेमारी कर युवाओं को गिरफ्तार कर लेती है। किशोरों और युवाओं की ऐसी हरकतों से अनजान माता-पिता की आंखें तब खुलती हैं जब उन्हें सूचना मिलती है कि उनका बेटा पुलिस की हिरासत में है।
50 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं
पिछले 6 माह में प्रदेश से 50 से अधिक ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें बैंक खाते किराए पर देने के आरोप में युवकों को गिरफ्तार किया गया है। उदयपुर व आसपास के गांवों में ऐसे मामले आए दिन सामने आ रहे हैं, लेकिन बदनामी के डर से चिंतित परिवार शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि जब बच्चों से पूछा जाता है कि खर्च कहां से आ रहा है, तो वे बताते हैं कि ऑनलाइन काम कर रहे हैं।
कॉल सेंटर संचालक व क्रिकेट सट्टेबाज इन खातों का उपयोग कर रहे हैं
केस-1: अंबामाता थाना क्षेत्र के कॉलेज छात्र रमेश (बदला हुआ नाम) को एक व्यक्ति ने घर बैठे कमीशन कमाने का झांसा देकर बैंक खाता खुलवाने का झांसा दिया। खाते से लाखों का ट्रांजेक्शन हो गया और उसे कमीशन मिलने लगा। कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस ने अचानक दबिश देकर उसे साइबर ठगी के मामले में गिरफ्तार कर लिया।
केस-2: वल्लभनगर क्षेत्र की 19 वर्षीय छात्रा सीमा (बदला हुआ नाम) के फेसबुक फ्रेंड ने घर बैठे पैसे कमाने का लालच देकर बैंक खाते की जानकारी मांगी। झांसे में आकर उसने जानकारी दे दी। कुछ दिनों बाद ही उसके खाते से लाखों का लेनदेन हो गया। जब मुंबई पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया तो वह हैरान रह गया।
यह है नेटवर्क
1- महानगरों में बैठे सरगना गांवों में एजेंट नियुक्त करते हैं, जो युवाओं, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को निशाना बनाते हैं।
2- एजेंट युवाओं को उनके बैंक खाते किराए पर देने के बदले में मोटा कमीशन देने का वादा करते हैं।
3- वे युवाओं को नए बैंक खाते खोलने के लिए प्रेरित करते हैं। कुछ मामलों में वे निष्क्रिय खातों की तलाश करते हैं।
4- खाता खुलने के बाद वे युवाओं से एटीएम कार्ड, पिन, ओटीपी और अन्य बैंकिंग विवरण प्राप्त कर लेते हैं।
5- खातों का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी, अवैध कॉल सेंटरों से जुटाए गए पैसे और क्रिकेट सट्टेबाजों के हवाला लेनदेन के लिए किया जाता है।
अज्ञात लोगों के जाल में फंसने से बचना चाहिए
युवाओं में जल्दी पैसा कमाने का लालच उन्हें फंसा रहा है। युवाओं को समझना चाहिए कि किसी और को बैंक खाते का इस्तेमाल करने देना गंभीर अपराध है। अज्ञात लोगों के जाल में फंसने से बचना चाहिए। अपने बैंक खाते की जानकारी किसी के साथ साझा न करें। स्कूलों और कॉलेजों में साइबर सुरक्षा पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की सख्त जरूरत है।
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