राजस्थान का अजमेर शहर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के मंदिरों का भी विशेष धार्मिक महत्व है। इन्हीं में से एक है बोराज गांव की अरावली पहाड़ियों पर स्थित चामुंडा माता का 1140 साल पुराना प्राचीन मंदिर। 151 शक्तिपीठों में शामिल इस मंदिर में मां चामुंडा का धड़ जमीन में विराजमान है और सिर बाहर है।
युद्ध में जाने से पहले लेते थे मां का आशीर्वाद
मंदिर के पुजारी मदन सिंह रावत ने लोकल 18 को बताया कि मां चामुंडा चौहान वंश की आराध्य देवी हैं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान जब भी युद्ध में जाते थे तो मां का आशीर्वाद लेकर इस मंदिर में जरूर जाते थे। पुजारी ने आगे बताया कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान मां के परम भक्त थे और उन्होंने मोहम्मद गौरी को 17 बार युद्ध में हराने का श्रेय भी मां चामुंडा के आशीर्वाद को ही दिया था। तलवारों के साये में होती है आरती
इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां आरती के दौरान दो लोग तलवार लेकर चलते हैं और आरती की लौ तलवारों के साये में होती है। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर की आरती और वहां होने वाली धार्मिक गतिविधियां श्रद्धालुओं को एक अनूठा अनुभव प्रदान करती हैं। यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक धरोहर है बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का भी अहम हिस्सा है।
1300 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर
मंदिर करीब 1300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और देशभर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु मां के मंदिर में चुनरी बांधते हैं। पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मंदिर में माथा टेककर हर श्रद्धालु खुद को धन्य महसूस करता है।
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