कई जानकार इसे फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच में हुई हाथापाई की सबसे घिनौनी घटना कहते हैं। ये 1990-91 में जमशेदपुर में दलीप ट्रॉफी फाइनल में टेस्ट खिलाड़ी राशिद पटेल और रमन लांबा के बीच मारपीट का किस्सा है। दोनों के बीच कहासुनी हुई। उसके बाद गेंदबाज राशिद ने स्टंप उखाड़ कर लांबा को मारने की कोशिश की तो लांबा खुद को बचाने की दलील पर बैट ले उनकी ओर दौड़े। ऐसे लग रहा था मानो कोई तलवारबाजी का मुकाबला चल रहा हो। भारतीय क्रिकेट के सबसे शर्मनाक किस्सों में से एक है ये और शामिल दोनों खिलाड़ियों पर लंबा बैन लगा। आइए सीधे उस मैच पर चलते हैं :
मैच : नार्थ जोन बनाम वेस्ट जोन, दलीप ट्रॉफी फाइनल, जमशेदपुर, 25-29 जनवरी 1991
नार्थ जोन 729/9 पारी घोषित (रमन लांबा 180, मनोज प्रभाकर 143, कपिल देव 119, चेतन मांकड़ 3-111) और 59/0
वेस्ट जोन 561 (रवि शास्त्री 152, दिलीप वेंगसरकर 114, संजय मांजरेकर 105)
नार्थ जोन विजयी
हुआ क्या था : ये दलीप ट्रॉफी फाइनल वेस्ट जोन (कप्तान: रवि शास्त्री) और नार्थ जोन (कप्तान: कपिल देव) के बीच था। जब टकराव हुआ तब किरन मोरे, वेस्ट जोन टीम की कप्तानी कर रहे थे और राशिद पटेल उनकी टीम में थे जबकि रमन लांबा नार्थ जोन टीम में।
नार्थ जोन ने पहले बल्लेबाजी की और 729-9 पर पारी घोषित कर दी जिसमें ओपनर लांबा ने 180 रन बनाए। ये इतना बड़ा स्कोर था कि आम तौर पर ये मान लिया गया कि ट्रॉफी पर नार्थ जोन का कब्जा हो गया। वेस्ट जोन ने जवाब में 561 रन बनाए और एक तरह से मैच यहीं खत्म हो गया था। पांचवें दिन, जब मैच में खेल सिर्फ औपचारिकता जैसा ही लग रहा था और लगभग खत्म था तब अचानक ही इसमें जान पड़ गई। असल में वेस्ट जोन के तेज गेंदबाज राशिद, पिच के डेंजर एरिया पर पैर रख रहे थे और लांबा ये देख खफा हो गए। बहस हुई तो राशिद ने जवाब में लांबा पर बीमर फेंक दिया और इससे बात और बिगड़ गई।
लांबा तब 26* रन पर थे और अचानक ही राशिद ने शॉर्ट पिच गेंदबाजी शुरू कर दी। ऐसा लग रहा था कि उनका इरादा सिर्फ लांबा को चोट पहुंचाना था। किरन मोरे गुजराती में राशिद की तरफ चिल्लाए और ये शायद लांबा का सिर फोड़ने का इशारा था। लांबा को गुजराती आती नहीं थी इसलिए उन्हें इस स्कीम का कुछ पता न चला। जब राशिद ने चिल्ला कर किरन मोरे से कहा कि गेंद पूरी तेजी से नहीं जा रही तो मोरे ने उन्हें फिर से गुजराती में कहा कि गेंदबाजी क्रीज से आगे आओ और लांबा को हिट करने वाली गेंद फेंको। तब राशिद ने गेंदबाजी क्रीज से कई गज आगे से जो गेंदबाजी की और उसके सामने लांबा की किस्मत अच्छी ही थी कि उन्हें कोई चोट नहीं लगी।
लांबा शिकायत करने अंपायर की तरफ दौड़े तो राशिद से भिड़ गए और गुस्से में राशिद चिल्ला कर न सिर्फ ये बोले कि वह उन्हें मारना चाहते हैं, बल्लेबाज के सिरे की तरफ भाग कर एक स्टंप निकाला और उसे लांबा की तरफ मार दिया। निशाना चूक गया और स्टंप सीधे, लांबा के करीब खड़े अजय जडेजा को जा लगा। अजय जडेजा गुजराती समझते थे और उन्हें समझ में आ गया था कि क्या हो रहा है? वे लांबा पर चिल्लाए कि खुद को राशिद से बचाए और भाग ले। तब लांबा ने खुद को बचाने के लिए बैट अपने आगे कर लिया और भागे पर राशिद भी स्टंप हाथ में लेकर उनके पीछे भाग रहे थे। तब तक अंपायर वीके रामास्वामी और वेस्ट जोन के और दूसरे खिलाड़ी बीच में आ गए और राशिद को रोका।
उसके बाद क्या हुआ: उन दिनों स्टेडियम में घरेलू मैच देखने के लिए भी खूब भीड़ जुटती थी पर भीड़ ने इस मैच में जो देखा वह बड़ा शर्मनाक था। इससे भीड़ गुस्से में आ गई और दंगा शुरू हो गया। स्टेडियम में भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया जिससे मैच फौरन रद्द करना पड़ा। जो हुआ उसका वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद है और इसमें साफ़ नजर आ रहा है कि कुछ ही सेकंड में दोनों खिलाड़ियों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। पहली पारी की बढ़त की बदौलत नार्थ जोन को विजेता घोषित कर दिया पर उस दिन क्रिकेट नहीं जीता।
कुछ साल बाद राशिद ने कहा, #39;देखिए, क्रिकेटर आमतौर पर अच्छे लोग होते हैं, लेकिन कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है जिससे माहौल में गर्मी आ जाती है और हालात आप पर हावी हो जाते हैं। मेरे मामले में, नार्थ जोन के 700 से ज्यादा रन बनाने ने मुझे परेशान कर दिया था।#39;
किसे क्या सजा मिली : बीसीसीआई ने डिसिप्लिनरी कमेटी (सदस्य: बीसीसीआई चीफ, मंसूर अली खान पटौदी और राज सिंह डूंगरपुर) बनाई जिसने जांच के बाद राशिद पटेल को 13 महीने और रमन लांबा को 10 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया। सबसे बड़ा सवाल ये कि लांबा को क्यों सजा दी? कमेटी ने असल में ये माना गया कि लांबा भी पूरी तरह से बेक़सूर नहीं थे और उनके राशिद को बैट दिखाने और बहस में पड़ने से भी बात बिगड़ी। इसलिए ये माना कि उकसावे में हमला या हमले की कोशिश भी सही नहीं। एक और हैरानी की बात ये रही कि जिन किरन मोरे ने लांबा को मारने के लिए कहा, उन्हें कोई सजा नहीं मिली।
रमन लांबा ने बैन के फैसले को चुनौती देने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 19 दिसंबर 1991 को कोर्ट ने एप्लीकेशन को आगे कार्रवाई योग्य नहीं माना और उसे खारिज कर दिया।
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- चरनपाल सिंह सोबती
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