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कम्प्यूटर सेंटर में पंच कार्ड बनाने से हुई शुरुआत, आज TCS बन गई 12.50 लाख करोड़ रु की कंपनी, देखिये जर्नी

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टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी Tata Consultancy Services Ltd याने टीसीएस ने बहुत तेज़ी दे तरक्की की. मामूली सॉफ्टवेयर बनाने से शुरुआत करके यह देश के आईटी सेक्टर की नंबर वन कंपनी बन गई.



स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के 20 साल के अंदर ही टीसीएस भारतीय बाज़ार की दूसरी सबसे बड़े मार्केट कैप वाली लिस्टेड कंपनी बन गई. टीसीस के शेयर सोमवार को 3,445.80 रुपए के लेवल पर बंद हुए. इसका मार्केट कैप 12.48 लाख करोड़ रुपए है.



कैसे हुई टीसीएस की शुरुआतटाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की स्थापना 1968 में टाटा ग्रुप के एक कम्यूटर सेंटर के रूप में हुई थी. टीसीएस कंपनी टाटा संस लिमिटेड ने किया था, जिसका नेतृत्व फकीर चंद कोहली ने किया. फकीर चंद कोहली को भारतीय आईटी का जनक" कहा जाता है.



टीसीएस की शुरुआत टाटा कंप्यूटर सेंटर के रूप में हुई, जिसे 1966 में नरिमन पॉइंट, मुंबई में टाटा ग्रुप की कंपनियों की कंप्यूटिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था. जब यह सेंटर पूरी तरह से उपयोग में नहीं आया, तो टाटा ग्रुप ने इसे एक अलग यूनिट, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के रूप में बनाने का निर्णय लिया. इसका उद्देश्य भारत में कंप्यूटर सेवाओं की मांग पैदा करना और वैश्विक स्तर पर सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देना था.



पंचिंग कार्ड बनाए, ऐसा मिला पहला इंटरनेशनल क्लाइंटटीसीएस ने शुरुआत में अपनी सिस्टर कन्सर्न टाटा स्टील (तब TISCO) के लिए पंच कार्ड सर्विस दी. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लिए इंटर-ब्रांच रिकॉन्सिलिएशन सिस्टम डेवलप किया और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया को ब्यूरो सेवाएं दीं.



साल 1971 में टीसीएस ने ईरान में एक बिजली कंपनी से अपना पहला अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट हासिल किया, जो इन्वेंट्री और स्टॉक कंट्रोल सिस्टम के लिए था. यह भारत से बाहर टीसीएस का पहला कदम था.



टीसीएस को बड़े प्रोजेक्ट्स कैसे मिले?टीसीएस ने शुरुआती प्रोजेक्ट्स टाटा ग्रुप की कंपनियों और भारतीय संस्थानों के साथ काम करके हासिल किए. इसके बाद कंपनी ने ग्लोबल मार्केट में कदम रखा. साल 1970 के दशक में टीसीएस ने बरोज (Burroughs) के साथ साझेदारी की, जिसके तहत भारत में बरोज प्रोड्क्ट का डिस्ट्रिब्यूशन किया गया और उनके ग्लोबल क्लाइंट के लिए सॉफ्टवेयर निर्यात किया गया. साल 1979 में टीसीएस ने न्यूयॉर्क में अपना पहला फॉरेन सेल्स ऑफिस खोला.



इस दौरान टीसीएस ने इंस्टीट्यूशनल ग्रुप इंफॉर्मेशन कॉरपोरेशन (IGIC) जैसे प्रमुख क्लाइंट के साथ कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए.



1980 के दशक में टीसीएस ने स्विस नेशनल बैंक और स्विस सिक्योरिटीज कॉरपोरेशन जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स हासिल किए, जिनमें दुनिया का पहला रीयल-टाइम सिक्योरिटीज क्लियरिंग और सेटलमेंट सिस्टम शामिल था. साल 2000 के दशक में टीसीएस ने जीई मेडिकल सिस्टम्स के साथ $100 मिलियन का कॉन्ट्रैक्ट और यूके की पर्ल ग्रुप (अब फीनिक्स ग्रुप) के साथ $847 मिलियन का बीमा बैक-ऑफिस प्रोजेक्ट हासिल किया. इन प्रोजेक्ट्स ने टीसीएस को ग्लोबल आईटी बाजार में एक मजबूत कंपनी के रूप में स्थापित किया.



स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग और जर्नीटीसीएस ने जुलाई 2004 में भारत में सबसे बड़े निजी क्षेत्र के आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) के साथ स्टॉक मार्केट में एंट्री ली. 25 अगस्त 2004 को यह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट हुई.



आईपीओ की कीमत 850 रुपए प्रति शेयर थी और एक लॉट में सात शेयर शामिल थे, जिसके लिए न्यूनतम निवेश 5,950 रुपए था. दो दशकों में टीसीएस के शेयरों ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया, जिसमें दो बार बोनस शेयर जारी किए गए. साल 2024 तक 5,950 रुपए का निवेश 1.27 लाख रुपए तक बढ़ गया.



2003: टीसीएस पहली भारतीय आईटी कंपनी बनी जिसने $1 बिलियन का राजस्व हासिल किया.



2014: यह 5 ट्रिलियन रुपए के मार्केट कैपिटलाइजेशन को पार करने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी.



2021: टीसीएस ने $200 बिलियन का मार्केट कैप हासिल किया, जो भारत की पहली आईटी कंपनी थी जिसने यह उपलब्धि हासिल की.



2024: टीसीएस का मार्केट कैप ₹12.63 ट्रिलियन तक पहुंच गया और यह भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी बनी.



कंपनी ने डिजिटल चेंजेस, क्लाउड कंप्यूटिंग, और AI/ML जैसी उभरती टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित किया है. इसने 2011 में iON लॉन्च किया, जो स्मॉल और मिड बिज़नेस के लिए क्लाउड-बेस्ड सॉल्यूशन प्रदान करता है.



इतने अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी कैसे बनी?टीसीएस में साल 2024 तक 612,724 कर्मचारी हैं, जो इसे भारत का चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता बनाता है. टीसीएस 55 देशों में 180 डिलीवरी सेंटरों के साथ काम करती है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की आवश्यकता होती है.



टीसीएस ने बैंकिंग, बीमा और रिटेल जैसे क्षेत्रों में बड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए, जिनके लिए मैन पावर की जरूरत होती है.



टीसीएस के पास 250 से अधिक प्रमुख क्लाइंट हैं, जिनमें शामिल हैं:

बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: बैंक ऑफ बड़ौदा, सिटीग्रुप, ड्यूश बैंक, पोस्टबैंक सिस्टम्स.



रिटेल: ASDA, TPG टेलीकॉम, ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटीज एक्सचेंज (ASX).



निर्माण और ऑटोमोटिव: जगुआर लैंड रोवर (JLR), जीई मेडिकल सिस्टम्स.



सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र: भारतीय डाक विभाग, भारत सरकार (GeM प्लेटफॉर्म), ब्रिटिश काउंसिल.



अन्य: सिंगापुर एयरलाइंस, फीनिक्स ग्रुप, खान बैंक.

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