राजस्थान के बारां जिले के शाहबाद के जंगल को संरक्षित करने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने चिपको आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में हाइड्रोपोनिक पावर प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति भी प्राप्त हो चुकी है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस जंगल को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह प्राण वायु और वन्य जीवों का निवास स्थान है।
सरकार के अनुसार, 427 हेक्टेयर क्षेत्र में 1,19,000 पेड़ काटे जाएंगे, जिससे जंगल का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा। हाल ही में, डॉ. राजेंद्र सिंह और पर्यावरणविद् रोबिन सिंह ने शाहबाद के जंगल का दौरा किया और कहा कि विकास के नाम पर विनाश स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने पर्यावरण प्रेमियों को एकजुट होकर संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. राजेंद्र सिंह ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह कटने वाले पेड़ों की संख्या को छिपा रही है। उन्होंने अपने माप के अनुसार, 427 हेक्टेयर में लगभग 27 लाख पेड़ों के कटने का अनुमान लगाया है।
पर्यावरणविद् रोबिन सिंह ने बताया कि शाहबाद के जंगल में 600 प्रकार की औषधीय पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इसे देश के लिए महत्वपूर्ण बनाती हैं।
डॉ. राजेंद्र सिंह ने ग्रामीणों से चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने पिछले 25 वर्षों में कितने पेड़ लगाए हैं, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने विकास के नाम पर विनाश को बर्दाश्त नहीं करने का आश्वासन दिया।
डॉ. राजेंद्र सिंह और रोबिन सिंह ने शाहबाद में हाइड्रो पावर प्लांट के संभावित स्थान का निरीक्षण किया और वहां पेड़ों की कटाई को अवैध बताया। उन्होंने इस मामले में आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
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