भगवान श्रीकृष्ण: महाभारत के समय में भगवान श्रीकृष्ण ने कलयुग में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी की थी। जब पांडव अपने सभी सामान को जुए में हारने के बाद वन की ओर जा रहे थे, तब युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से पूछा कि कलयुग में क्या होगा। श्री कृष्ण ने उन्हें वन जाने और वहां जो कुछ भी देखने के बाद लौटकर बताने के लिए कहा। पांडवों ने वन में जो देखा, वह आज भी प्रासंगिक है।
1. कलयुग में शोषण का राज
युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कहा कि उन्होंने वन में एक दो-सूंड वाले हाथी को देखा। श्री कृष्ण ने बताया कि इसका अर्थ है कि कलयुग में ऐसे लोग होंगे जो बातें कुछ और करेंगे, लेकिन कार्य कुछ और करेंगे। ऐसे लोग जनता का शोषण करेंगे, और यह भविष्यवाणी आज भी सच साबित हो रही है।
2. राक्षसी आचरण का उदय
अर्जुन ने देखा कि एक पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं थीं, लेकिन वह मरे हुए जानवर का मांस खा रहा था। श्री कृष्ण ने कहा कि इसका अर्थ है कि कलयुग में जो लोग ज्ञानी होने का दावा करेंगे, उनका आचरण राक्षसी होगा। वे हमेशा यही सोचेंगे कि कब कोई मरे और उनकी संपत्ति उनके नाम कर जाए।
3. बच्चों का विकास बाधित
भीम ने कहा कि उसने देखा कि एक गाय अपने बछड़े को इतना चाट रही थी कि वह लहूलुहान हो गया। श्री कृष्ण ने कहा कि इसका अर्थ है कि कलयुग में मां की ममता के कारण बच्चों का विकास बाधित होगा। यदि कोई और का पुत्र साधु बनेगा, तो माताएं उनके दर्शन करेंगी, लेकिन अपने पुत्र के सन्यास लेने पर वे रोएंगी।
4. भूखों की अनदेखी
सहदेव ने कहा कि उसने देखा कि सात भरे हुए कुओं के बीच एक कुआं एकदम खाली था। श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा कि इसका अर्थ है कि कलयुग में यदि कोई भूखा मरता है, तो कोई उसकी मदद नहीं करेगा। अमीर लोग अपने बच्चों की शादियों पर खूब खर्च करेंगे, लेकिन पास में कोई भूख से मर रहा होगा, तो उसकी अनदेखी करेंगे।
5. हरिनाम से उद्धार
नकुल ने कहा कि उसने देखा कि एक बड़ी चट्टान बड़े वृक्षों और चट्टानों से टकराने के बाद भी नहीं रुकी, लेकिन एक छोटे पौधे से टकराते ही रुक गई। श्री कृष्ण ने कहा कि इसका अर्थ है कि कलयुग में मनुष्य का पतन होगा, लेकिन हरिनाम के जप से उसका उद्धार संभव है।
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