भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। गंगा, सरस्वती और नर्मदा जैसी कई नदियों को माता माना जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताएंगे, जिसे भारत का पिता कहा जाता है।
यह नदी ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। इसके बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी सृष्टि के देवता ब्रह्मा और ऋषि शांतनु की पत्नी अमोघा के पुत्र मानी जाती है।
कहानी के अनुसार, ब्रह्मा ने अमोघा की सुंदरता से प्रभावित होकर उससे विवाह किया, और उनके घर एक बालक का जन्म हुआ, जो पानी के रूप में बहता रहा। ऋषि शांतनु ने उसे चार पर्वतों के बीच रखा, और वह बड़ा होकर ब्रह्म कुंड नामक झील में बदल गया।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ने इस बालक को मुक्त करने के लिए अपनी कुल्हाड़ी से ब्रह्म कुंड के किनारों को तोड़ दिया, जिससे ब्रह्मपुत्र नदी का निर्माण हुआ। इसके बाद उन्होंने इस नदी में स्नान किया ताकि वह अपने पाप से मुक्ति पा सकें।
ब्रह्मपुत्र नदी को भारत की सबसे गहरी नदी माना जाता है, जिसकी गहराई 140 मीटर है। यह नदी असम में बहती है और इसकी पूजा हिंदुओं के अलावा बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी भी करते हैं। तिब्बत में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे सांपो, अरुणाचल प्रदेश में डिहं और बांग्लादेश में जमुना।
इस नदी की कुल लंबाई 2900 किलोमीटर है, और इसका सबसे गहरा स्थान असम के तिनसुकिया में है। इसका उद्गम स्थल हिमालय के उत्तर में तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील है।
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