नई दिल्ली: कल्पना कीजिए, सुबह उठते हैं और आपके चारों ओर कोई महिला नहीं है - न मां, न बहन, न पत्नी, न बेटी। आप सोचते हैं कि वे कहीं गई होंगी, लेकिन जब आप ऑफिस पहुंचते हैं, तो वहां भी कोई महिला सहकर्मी नहीं है। थोड़ी देर बाद, एक पुरुष एंकर समाचार पढ़ता है कि सभी महिलाएं अचानक छुट्टी पर चली गई हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व
कुछ साल पहले अमेरिका में एक ऐसा अभियान चला था, जिसमें सभी महिलाओं ने एक दिन की छुट्टी लेने का निर्णय लिया था। उन्होंने 8 मार्च 2017 को यह किया, ताकि दुनिया महिलाओं के योगदान को समझ सके।
महिलाओं की स्थिति पर आंकड़े
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। अगर सभी महिलाएं आज छुट्टी पर चली जाएं, तो क्या होगा? यह जानने के लिए हमने कुछ आंकड़ों का सहारा लिया है।
– जनसंख्या: 2021 तक, भारत की जनसंख्या लगभग 136 करोड़ थी, जिसमें 48.6% महिलाएं थीं। महिलाओं की जनसंख्या वृद्धि दर पुरुषों से अधिक है।
– शिक्षा: 1951 में पुरुषों की साक्षरता दर 27.2% थी, जो 2017 में 84.7% हो गई। वहीं, महिलाओं की साक्षरता दर 8.9% से बढ़कर 70.3% हो गई।
– रोजगार: 2019 में, भारत में महिलाओं की लेबर फोर्स में हिस्सेदारी 21% से कम थी।
– राजनीति: लोकसभा में केवल 15% और राज्यसभा में 14% महिला सांसद हैं।
– न्यायपालिका: सुप्रीम कोर्ट में 33 जजों में केवल 4 महिलाएं हैं।
– सेना: थल सेना में महिलाओं की संख्या 0.1% है।
– पुलिस: 2022 तक, महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 11.75% थी।
महिलाओं का योगदान
हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि महिलाएं हर दिन 7.2 घंटे बिना वेतन के काम करती हैं।
अगर उन्हें इस काम के लिए वेतन दिया जाए, तो यह राशि सालाना 22.7 लाख करोड़ रुपये होगी, जो भारत की जीडीपी का 7.5% है।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 64 देशों की महिलाएं हर दिन 1,640 घंटे बिना वेतन के काम करती हैं।
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