शेयर बाजार में हालिया नरमी के चलते सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों में से आधी को गंभीर नुकसान झेलना पड़ा है। पिछले सप्ताह इन कंपनियों के कुल मार्केट कैप में 1,85,952.31 करोड़ रुपये की कमी आई। सबसे अधिक प्रभावित एचडीएफसी बैंक रहा, जबकि सेंसेक्स में 1,844.2 अंक या 2.32 प्रतिशत की गिरावट आई। निफ्टी भी 573.25 अंक या 2.38 प्रतिशत नीचे आया। इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और आईटीसी के बाजार मूल्यांकन में कमी आई। वहीं, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), भारती एयरटेल, इन्फोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और एचसीएल टेक्नोलॉजीज की बाजार हैसियत में वृद्धि हुई।
एचडीएफसी बैंक और अन्य कंपनियों का नुकसान
सप्ताह के दौरान एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 70,479.23 करोड़ रुपये घटकर 12,67,440.61 करोड़ रुपये रह गया। आईटीसी का बाजार मूल्यांकन 46,481 करोड़ रुपये घटकर 5,56,583.44 करोड़ रुपये पर आ गया। एसबीआई की बाजार हैसियत 44,935.46 करोड़ रुपये घटकर 6,63,233.14 करोड़ रुपये रह गई।
रिलायंस इंडस्ट्रीज को 12 हजार करोड़ का नुकसान
रिलायंस इंडस्ट्रीज का मूल्यांकन 12,179.13 करोड़ रुपये घटकर 16,81,194.35 करोड़ रुपये पर आ गया। आईसीआईसीआई बैंक के मूल्यांकन में 11,877.49 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 8,81,501.01 करोड़ रुपये पर आ गया।
कर्ज में वृद्धि और शेयर की गिरावट
साल 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कर्जमुक्त होने की बड़ी उपलब्धि हासिल की थी, लेकिन हाल के वर्षों में कंपनी का कर्ज फिर से बढ़ गया है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली इस कंपनी पर लगभग 82 अरब डॉलर का कर्ज बढ़ गया है। इस बीच, रिलायंस के शेयरों में लगातार गिरावट जारी है। जुलाई 2024 में कंपनी का एक शेयर 1610 रुपये था, जो अब घटकर 1218 रुपये तक पहुंच गया है। इसी अवधि में निफ्टी 50 ने नेगेटिव 1.9% का रिटर्न दिया है। पिछले एक साल में स्टॉक में 5% की गिरावट आई है, जबकि निफ्टी 50 ने 10% की बढ़त दर्ज की है।
गिरावट के कारण
कंपनी के प्रदर्शन में गिरावट का मुख्य कारण गिरते तेल के दाम हैं, जो इसके रिफाइनिंग बिजनेस पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इस गिरावट ने कंपनी की आय को प्रभावित किया है, जिससे Q2 FY25 में इसका एबिटडा मार्जिन 8% पर आ गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 11% था। इसके अलावा, प्रमुख टेलीकॉम बिजनेस जियो को भी झटका लगा है, जिसमें टैरिफ बढ़ने के कारण 11 मिलियन ग्राहक कम हुए हैं।
रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भी कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी के सबसे बड़े सोलर गीगा फैक्ट्री प्रोजेक्ट में देरी हुई है, जिससे भविष्य की योजनाओं पर असर पड़ सकता है। इन सभी कारणों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की वित्तीय स्थिति और शेयर बाजार के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
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