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घर पर ही हो जाएगा माइग्रेन का इलाज, सिरदर्द के लिए नहीं लेनी पड़ेगी गोलियां, आजमाएं 3 आयुर्वेदिक नुस्खे

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माइग्रेन के भयंकर सिरदर्द से बचने के लिए आप आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार सावलिया के बताए इन तीन आयुर्वेदिक उपाय को आजमा सकते हैं।

एक बार अगर माइग्रेन हो जाए तो मरीजों को अक्सर गंभीर सिरदर्द को झेलना पड़ता है। और ऐसा नहीं है कि इसमें कुछ घंटे में ही सिर दर्द से आप आराम पा जाते हैं, बल्कि उल्टी, मतली के साथ माइग्रेन का दर्द कुछ घंटे से कई दिन तक बना रह सकता है।

दुख की बात ये है कि माइग्रेन को हमेशा के लिए खत्म नहीं किया जा सकता है, हां लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव करके और कुछ दवाइयों के जरिए आप माइग्रेन के लक्षणों और माइग्रेन अटैक को कम जरूर कर सकते हैं।

इसके अलावा ऐसी कई होम रेमिडीज हैं, जो माइग्रेन के सिर दर्द को मिनटों में दूर करने में मदद करती हैं। हाल ही में आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार सावलिया ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर माइग्रेन के मरीजों के लिए ऐसे ही तीन उपाय शेयर किए हैं, जो माइग्रेन से आपको जल्द राहत दिलाने में मदद करेंगे। आइए जानते हैं इनके बारे में।

हर्बल टी (Herbal Tea)

माइग्रेन से राहत पाने के लिए डॉक्टर ने बताया कि आप हर्बल टी का सेवन कर सकते हैं। इसे दोपहर के भोजन या रात के खाने के एक घंटे बाद या जब भी माइग्रेन के लक्षण नजर आएं, लिया जा सकता है। इसे बनाने की रेसिपी बहुत आसान है। इसे बनाने के लिए 1 गिलास पानी (300 मिली) लें और उसमें आधा चम्मच अजवाइन, 1 इलायची दरदरी कुटी हुई, 1 चम्मच जीरा, 1 बड़ा चम्मच धनिये के बीज, 5 पुदीने की पत्तियां डालें। इसे मध्यम आंच पर 3 मिनट तक उबालें और अपनी स्वादिष्ट माइग्रेन शांत करने वाली चाय की चुस्की लें। यह मतली और तनाव से राहत के लिए सबसे अच्छा काम करता है। इसे आप सोते समय, या जब भी लक्षण prominent हों, पी सकते हैं।

भीगी हुई किशमिश (Soaked Raisins)

सुबह सबसे पहले हर्बल चाय पीने के बाद, रात भर भिगोई हुई 10-15 किशमिश माइग्रेन के सिरदर्द से राहत दिलाने में जादू की तरह काम करती है। जब इसे लगातार 12 सप्ताह तक लिया जाता है, तो यह बढ़े हुए वात के साथ-साथ शरीर में अतिरिक्त पित्त को कम करता है और माइग्रेन से जुड़े सभी लक्षणों जैसे एसिडिटी, मतली, जलन, एकतरफा सिरदर्द, गर्मी के प्रति इनटोलरेंस आदि को शांत करता है।

गाय का घी (Cow Ghee)

डॉक्टर ने बताया कि शरीर और दिमाग में अतिरिक्त पित्त को संतुलित करने में गाय के घी से बेहतर कुछ भी काम नहीं करता है। घी का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है:-

1. भोजन में (रोटी पर,चावल में या घी में सब्जियां भूनकर)

2. सोते समय दूध के साथ ले सकते हैं।

3. नस्य के रूप में (नाक में 2 बूंदें डालना)

4. औषधियों के साथ- माइग्रेन के लिए कुछ जड़ी-बूटियां जैसे ब्राह्मी,शंखपुष्पी,यष्टिमधु आदि को घी के साथ लिया जा सकता है।

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