नई दिल्ली, 10 मई . वर्तमान हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने खाने-पीने की चीजों को लेकर होड़ न मचाने की सलाह नागरिकों को दी है. केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि देश में जरूरी वस्तुओं की कोई कमी नहीं है.नागरिकों से अपील है कि वे घबराएं नहीं और न ही खाद्य सामग्री खरीदने के लिए बाजार में दौड़ लगाएं.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भरोसा दिलाया है कि देश में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है.
चावल का मौजूदा स्टॉक 135 लाख मीट्रिक टन के बफर मानक के मुकाबले 356.42 लाख मीट्रिक टन है.
इसी तरह, गेहूं का स्टॉक 276 लाख मीट्रिक टन के बफर मानक के मुकाबले 383.32 लाख मीट्रिक टन है, जो जरूरत से कहीं ज्यादा है, जिससे देश भर में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है.
केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे पास वर्तमान में सामान्य आवश्यकता से कई गुना अधिक स्टॉक है, चाहे वह चावल हो, गेहूं हो या चना, अरहर, मसूर या मूंग जैसी दालें हों. इसकी कोई कमी नहीं है और नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे घबराएं नहीं और न ही खाद्यान्न खरीदने के लिए बाजारों में भागदौड़ करें.”
इसके अलावा, भारत के पास वर्तमान में लगभग 17 लाख मीट्रिक टन खाद्य तेल का स्टॉक है.
घरेलू स्तर पर, सरसों के तेल की उपलब्धता चालू पीक उत्पादन सीजन के दौरान पर्याप्त है, जो खाद्य तेल की सप्लाई को और बढ़ा रहा है.
चालू शुगर सीजन की शुरुआत 79 लाख मीट्रिक टन के कैरी-ओवर स्टॉक के साथ हुई.
इथेनॉल उत्पादन के लिए 34 लाख मीट्रिक टन के डायवर्जन को ध्यान में रखते हुए, उत्पादन 262 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है.
अब तक, लगभग 257 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हो चुका है.
280 लाख मीट्रिक टन की घरेलू खपत और 10 लाख मीट्रिक टन के निर्यात को ध्यान में रखते हुए, समापन स्टॉक लगभग 50 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है, जो दो महीने की खपत से अधिक है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनुकूल जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए 2025-26 शुगर सीजन के लिए उत्पादन का पूर्वानुमान भी आशाजनक है.
उन्होंने आगाह किया कि भ्रामक रिपोर्टों का शिकार न बनें और जमाखोरी या भंडारण में लिप्त किसी भी व्यक्ति पर आवश्यक वस्तु अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा, “देश में खाद्य भंडार के बारे में प्रोपेगेंडा मैसेज पर विश्वास न करें. हमारे पास पर्याप्त खाद्य भंडार है, जो आवश्यक मानदंडों से कहीं अधिक है. व्यापारी, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता या व्यावसायिक संस्थाएं जो आवश्यक वस्तुओं के व्यापार से जुड़ी हैं, उन्हें कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है.”
–
एसकेटी/केआर
The post first appeared on .
You may also like
युद्धकाल में उदयपुर प्रशासन का बड़ा फैसला, 15 मई तक अगर शहर में किया ये काम तो भुगतना होगा अंजाम
अनूपपुर: अप्रत्याशित परिस्थितियो को दृष्टिगत रख समस्त शासकीय सेवकों के अवकाश पर राेक
राजगढ़ः नपा कर्मचारी ने फांसी लगाकर की खुदकुशी
यूपी से बाल कुपोषण दूर करने के लिए योगी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध
जनहित में काम नहीं होता तो वीआरएस ले लीजिये: उपायुक्त