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भारत निर्मित कारों की जापानी बाजार में तेजी से बढ़ रही मांग

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नई दिल्ली, 27 मई मारुति सुजुकी और होंडा कार्स इंडिया ने जापानी बाजार में अपनी पैठ बना ली है. इसके निर्यात में शानदार वृद्धि दर्ज की गई है, जो विकसित बाजारों में भारत निर्मित कारों की बेहतर गुणवत्ता और उन्हें स्वीकार किए जाने को दर्शाता है.

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में जापान को भारत का कार निर्यात बढ़कर 616.45 मिलियन डॉलर हो गया, जो 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष में 220.62 मिलियन डॉलर के निर्यात से करीब 3 गुना अधिक है.

‘मारुति सुजुकी इंडिया’ अपनी ऑफ-रोडर स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) जिम्नी का जापान को सबसे बड़ा निर्यातक है. वर्तमान में मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका प्रमुख एक्सपोर्ट मार्केट हैं.

फ्रॉन्क्स के बाद यह दूसरी एसयूवी है, जिसे कंपनी जापान में अपनी पैरेंट कंपनी को निर्यात कर रही है. कंपनी फ्रोंक्स एसयूवी को अपने गुआजार्ट प्लांट से जापान को निर्यात करती है, जबकि माल राज्य के पिपावाव बंदरगाह से भेजा जाता है.

मारुति ने जून 2023 में भारत में जिम्नी को लॉन्च किया और अक्टूबर 2023 से इसे लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका के विभिन्न देशों में निर्यात करना शुरू कर दिया.

2023-24 में भारत से इस पांच दरवाजों वाली कार की 22,000 से अधिक यूनिट का निर्यात किया गया, जबकि कंपनी ने 2024-25 के पहले नौ महीनों में जिम्नी की 38,000 से अधिक यूनिट का निर्यात किया है.

‘होंडा कार्स इंडिया’ ने 2024-25 के पहले नौ महीनों के दौरान मुख्य रूप से जापान को एसयूवी एलिवेट की 45,167 यूनिट का निर्यात किया, जो भारत में इन वाहनों की बिक्री की संख्या से दोगुना है.

कंपनी ने मार्च के तीसरे सप्ताह में जापान में कार लॉन्च की, जहां इसे होंडा डब्ल्यूआर-वी के रूप में बेचा जा रहा है. यह होंडा के घरेलू बाजार जापान में बिक्री के लिए जाने वाली कंपनी की पहली भारत में बनी कार है.

भारत में डब्ल्यूआर-वी ब्रांड को 2023 में बंद कर दिया गया था. हालांकि, यह नाम वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

कार का निर्यात दिसंबर-जनवरी के आसपास शुरू हुआ था, और इसे आधिकारिक तौर पर मार्च में लॉन्च किया गया था.

टू-व्हीलर व्हीकल सेगमेंट यामाहा इंडिया ने जापान को अपने प्रीमियम आर-15 बाइक मॉडल का निर्यात करने की भी योजना बनाई है, क्योंकि भारत में विनिर्माण की लागत बहुत कम है.

यह एडवांस देशों के लिए भी ऑटो मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में भारत की क्षमता को दर्शाता है.

कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2023 में भारत का कार निर्यात 15 प्रतिशत बढ़कर 7,70,364 वाहन हो गया, जो घरेलू बिक्री में 2 प्रतिशत की वृद्धि से आगे निकल गया.

कॉम्पैक्ट एसयूवी अब निर्यात का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, साथ ही मिड-साइज की यात्री कारों और यूटिलिटी व्हीकल की भी मजबूत मांग देखी जा रही है.

सियाम की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडस्ट्री प्लेयर्स पांच साल के भीतर निर्यात हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं.

एसकेटी/केआर

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