चेन्नई, 8 मई . तमिलनाडु के एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसआरएमआईएसटी) की एक प्रोफेसर को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आलोचना करना भारी पड़ गया. उन्होंने व्हाट्सएप स्टेटस में इस ऑपरेशन की आलोचना की थी, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है.
प्रोफेसर लोरा एस. इंस्टीट्यूट के करियर सेंटर निदेशालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.
बताया गया है कि बुधवार को लोरा ने कुछ व्हाट्सएप स्टेटस संदेशों के जरिए उस सीमा पार सैन्य अभियान की आलोचना की, जो पाकिस्तान और पीओके के आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए नियंत्रण रेखा के पार किया गया था.
एक पोस्ट में लोरा ने केंद्र सरकार पर चुनावी लाभ के लिए सैन्य कार्रवाई करने का आरोप लगाया, जबकि दूसरे में पाकिस्तान में कथित नागरिक हताहतों पर दुख व्यक्त किया.
उनके एक संदेश में लिखा था, “भारत ने पाकिस्तान में एक बच्चे को मार डाला और बुधवार की तड़के हमलों में दो लोगों को घायल कर दिया. यह एक कायराना कृत्य है.”
इसके साथ ही उन्होंने भारत के भविष्य के आर्थिक संकटों का अनुमान भी व्यक्त किया, जिसमें “लॉकडाउन, महंगाई, खाद्य संकट और जान-माल की हानि” जैसी चुनौतियों का जिक्र किया.
शुरुआत में ये पोस्ट केवल उनके व्हाट्सएप कॉन्टेक्ट्स के लिए दिख रही थीं, लेकिन बाद में भाजपा कार्यकर्ता बाला द्वारा सोशल मीडिया पर स्क्रीनशॉट साझा करने के बाद यह वायरल हो गया.
उन्होंने संस्थान को टैग करते हुए यह सवाल किया, “क्या आप इस विचारधारा को स्वीकार करते हैं? क्या यही अब शैक्षिक सक्रियता है?” इसके बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का तूफान उठ खड़ा हुआ.
इसके बाद एसआरएमआईएसटी ने लोरा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और एक आंतरिक जांच शुरू करने की घोषणा की.
एसआरएमआईएसटी के रजिस्ट्रार एस. पोन्नुसामी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि उनकी पोस्ट को “अनैतिक गतिविधि” के रूप में देखा गया है और जांच की जाएगी.
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डीएससी/एकेजे
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