कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर मध्यप्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस मामले में आज (16 मई 2025) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले गुरुवार (15 मई 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने शाह की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को विशेष रूप से संवेदनशील समय में बेहद सतर्कता से बयान देने चाहिए।
विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया और उन्होंने इस पर माफी भी मांग ली है। उन्होंने दावा किया कि मीडिया ने इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया। गौरतलब है कि कर्नल सोफिया कुरैशी पर शाह की विवादास्पद टिप्पणी को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। विजय शाह ने हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में मीडिया को जानकारी देने वाली भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल कुरैशी पर दिए गए बयान का संज्ञान लिया था।
"आप किस तरह के बयान दे रहे हैं..."
मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति जॉर्ज ऑगस्टीन मसीह की खंडपीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को शाह की ओर से दिए गए कथित आपत्तिजनक बयान पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक मंत्री की जिम्मेदारी को दर्शाने वाला व्यवहार नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आप किस तरह के बयान दे रहे हैं? आप सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री हैं और ऐसे समय में जब देश संवेदनशील परिस्थितियों से गुजर रहा है, संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से संयम की अपेक्षा की जाती है।"
‘मीडिया ने दुर्भाग्य से बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया’
वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने विजय शाह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश होते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ दिए गए एफआईआर दर्ज कराने के आदेश पर रोक की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने आज, 16 मई 2025 को इस मामले पर सुनवाई की सहमति दी है। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि शाह के वकील हाईकोर्ट को सूचित करें, जिसने 15 मई को मामले को सूचीबद्ध किया था। मखीजा ने मौखिक रूप से कहा कि मीडिया ने मंत्री की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने सुनवाई के दौरान यह भी सवाल उठाया कि क्या सिर्फ इस आधार पर कि याचिकाकर्ता एक मंत्री हैं, उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने का विशेषाधिकार मिलना चाहिए? उन्होंने पूछा, "क्या सिर्फ इसलिए कि कोई मंत्री है, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ही सुना जाना चाहिए?" इस पर मखीजा ने तर्क दिया कि शाह ने सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट किया है और उनके पास इसका रिकॉर्ड भी उपलब्ध है।
हाईकोर्ट ने डीजीपी को क्या दिया था आदेश?
बुधवार, 14 मई 2025 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को चार घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस आदेश के अनुपालन में देरी होती है, तो डीजीपी के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की पीठ ने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के अपराध की श्रेणी में आता है।
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