अभिषेक पांडेय, लखनऊ: वसंतकुंज योजना के सेक्टर-ए में आवंटन के दो साल बाद भी प्लॉटों के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया है। इस योजना में 275 प्लॉट आवंटित हैं, लेकिन जमीन अधिग्रहण न होने से आवंटियों की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही। इस पर बीते दिनों एलडीए ने योजना निरस्त करने की तैयारी शुरू कर दी थी, हालांकि अब अफसरों का दावा है कि निरस्तीकरण का आदेश वापस ले लिया गया है। इसका समाधान तलाशा जा रहा है। इसके बाद योजना में कुछ बदलाव के बाद प्लॉटों की रजिस्ट्री शुरू करवाई जाएगी।कोई भी आवासीय योजना लॉन्च करने से पहले जमीन अधिग्रहण के साथ सभी पक्षों के शिकायतों का निपटारा किया जाता है। इसके उलट वसंत कुंज में इन नियमों का पालन नहीं हुई। एलडीए ने वसंतकुंज सेक्टर-ए में प्लॉटों का रजिस्ट्रेशन 22 अक्टूबर 2022 को खोला था। प्लॉटों की कीमत 30,350 रुपये प्रति वर्ग मीटर के रेट पर तय की गई थी। उस वक्त प्रभु एन सिंह एलडीए वीसी थे।रजिस्ट्रेशन के बाद 14 मार्च 2023 को लॉटरी करवाई गई। इसके बाद प्लॉट भी आवंटित कर दिए गए, लेकिन इनके लिए जमीन अधिग्रहण नहीं किया। बीते दो साल में तमाम आवंटियों ने पूरी रकम जमा भी कर दी, लेकिन उन्हें रजिस्ट्री के लिए टरकाया जाता रहा। विवाद बढ़ने की आशंका पर अप्रैल के पहले हफ्ते में एलडीए ने योजना ही निरस्त करने की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए एलडीए वीसी ने दो अप्रैल को पत्र भी जारी किया था, लेकिन इसकी कॉपी लीक होने के बाद अब अफसर समाधान तलाशने में जुटे हैं।एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने बताया कि निरस्तीकरण का आदेश वापस ले लिया गया है। मौजूदा वक्त में समस्या के समाधान के लिए एक कमिटी बनाई गई है। कमिटी की रिपोर्ट सोमवार को आ जाएगी। इसके बाद आवंटियों के हित में फैसला किया जाएगा। इसके अलावा इस मामले में चूक कैसे हुई और अधिग्रहण में कहां लापरवाही हुई, इसकी भी जांच करवाई जाएगी। अंसल एपीआई मामला फिर चर्चा मेंइस पूरे घटनाक्रम के बाद अंसल एपीआई का मामला फिर चर्चा में है। अंसल पर भी पहले ऐसे ही प्लॉट बेचने के आरोप लगे थे, जिनकी जमीन उसने खरीदी ही नहीं थी। तब इस पर निगरानी का जिम्मा एलडीए को सौंपा गया था। अब वही एलडीए के मौजूदा अफसर भी करते नजर आ रहे हैं। क्यों फंसी योजना?वसंतकुंज के लिए एलडीए ने साल 1981 में ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी। मुआवजे की शर्तों पर किसानों की असहमति के कारण यह प्रक्रिया अधूरी रह गई थी। कई किसानों ने जमीन छोड़ने से इनकार कर दिया था। करीब दो महीने पहले एलडीए ने दावा किया था कि किसानों से वार्ता अंतिम दौर में है, लेकिन अब तक कोई अधिग्रहण नहीं हो सका है।
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