Next Story
Newszop

पाक नहीं सुधरेगा

Send Push
नई दिल्ली: जैसी कि उम्मीद थी, पहलगाम आतंकी हमले पर गुरुवार को हुई सर्वदलीय बैठक में भारतीय राजनीति का वह रूप दिखा, जिसकी जरूरत थी। सभी दलों ने एक स्वर में सरकार से कहा कि आतंक को मुंहतोड़ और निर्णायक जवाब देने के लिए जो भी जरूरी हो, किया जाए। इससे पहले जम्मू-कश्मीर, खासकर घाटी में जिस तरह से आम लोगों ने सड़कों पर निकलकर इस आतंकवादी हमले की भर्त्सना की, वह पूरी दुनिया के लिए स्पष्ट संदेश है। पाक की खिसियाहटइस बीच पाकिस्तान ने शिमला समझौता समेत तमाम समझौते स्थगित करने और पानी रोकने जाने को युद्ध का ऐलान मानने जैसी घोषणाएं करके यह दिखाने की कोशिश की है कि वह भी भारत के कदमों का मुकाबला करने में सक्षम है। बेहतर होता कि हमले के पीछे जिस आतंकवादी संगठन का हाथ है, वह उसके खिलाफ कार्रवाई करता। आखिर, पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित रहा है और वह जब तब इसकी दुहाई देता आया है। सख्त संदेशआतंकवादी हमले की घटना के बाद केंद्र सरकार ने जिस तरह से रिएक्ट किया, उससे साफ हो गया कि देश अब ऐसे हमलों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। गुरुवार को भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन जैसे तमाम प्रमुख देशों के राजदूतों को घटना का पूरा ब्यौरा दिया और इससे जुड़े तमाम साक्ष्य उनके साथ साझा किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को फिर से यह बात दोहराई कि पुलवामा के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच वायुसेना ने रफाल और सुखोई-30 ने 'आक्रमण अभ्यास' भी किया। पानी रोके जाने का डरसिंधु जल समझौते को स्थगित करने की घोषणा ने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा चिंतित किया है। यह बहुत बड़ी घोषणा है और इसके निहितार्थ दूर तक जाते हैं। लेकिन भारत का मकसद भी यही है कि सब इस तथ्य को अच्छी तरह समझ लें कि ऐसे हमलों को रोकने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। आखिर, दशकों से सीमापार आतंकवाद को बंद करने की भारत की अपील को पाकिस्तान अनदेखा करता आया है। निरंतरता की जरूरत दरअसल में, पाकिस्तान में आतंक के ढांचे को नेस्तनाबूद करने के खातिर निरंतर प्रयासों की जरूरत है। पाकिस्तान को अहसास दिलाना होगा कि आतंक को संरक्षण देने की नीति कहीं की नहीं छोड़ेगी।
Loving Newspoint? Download the app now