नई दिल्ली: पहलगाम, गाजा, ट्रम्प के टैरिफ से लेकर हॉस्टल, लाइब्रेरी और फंड कट तक... जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन (जेएनयूएसयू) के चुनाव से पहले प्रेजिडेंशियल डिबेट में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय समेत कैंपस के कई मुद्दे जमकर गूंजे। पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा हर उम्मीदवार की डिबेट का हिस्सा रहा, सुरक्षा को लेकर कई कड़े सवाल किए गए। इलेक्शन कमेटी ने भी डिबेट शुरू होने से पहले दो मिनट का मौन रखा, तो एबीवीपी ने हमले के विरोध में पोस्टर्स दिखाए। नई यूनियन के लिए स्टूडेंट्स आज वोट दे रहे हैं।लाल सलाम! जय भीम! वंदेमातरम! के नारों की गूंज के साथ जेएनयू की प्रेजिडेंशियल डिबेट में चुनावी बिगुल बजा। हॉस्टल और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सवाल करते हुए पोस्टर्स दिखाए गए, तो ढपली, ड्रम, डमरू भी बजे और मुद्दों पर शब्दों की जंग भी छिड़ी। बुधवार रात करीब 11:30 बजे शुरू हुई इस डिबेट में 13 में से 11 प्रेजिडेंट कैंडिडेट ने रात 3 बजे तक 12-12 मिनट में वोटर्स के बीच अपने विचार और वादे रखे। एक-दूसरे की खिंचाई भी हुई, तो हूटिंग भी। प्रत्याशी बोलीं तो लेफ्ट ने नारों के शोर से रोकने की कोशिश की, फिर जब लेफ्ट कैंडिडेट्स मंच पर आए, तो एबीवीपी के समर्थकों ने ड्रम-नारों के शोर से बदला लिया। बीच में दो-चार बार डिबेट रोकनी पड़ी। एनएसयूआई के प्रत्याशी ने कही ये बातकांग्रेस की स्टूडेंट्स विंग नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के प्रेजिडेंट पद के प्रत्याशी प्रदीप ढाका ने कहा कि भारतीयों को अमेरिका ने विस्थापित कर दिया है। पंजाब के लोग जो देश को अनाज देते हैं, उनको हथकड़ियां पहनाकर पंजाब भेजा गया मगर उनके लिए कुछ कदम नहीं उठाए गए। पेपर लीक पर वो बोले कि इस देश में जितना पानी लीक नहीं होता, उससे ज्यादा पेपर लीक होता है। जानें, एबीवीपी के कैंडिडेट ने क्या कहा?अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की प्रेजिडेंट उम्मीदवार शिखा स्वराज ने लेफ्ट के टूटने पर भी तंज कसा। पहलगाम हमले पर भी उन्होंने अपने विचार रखे। पुरानी यूनियन पर शिखा ने कहा, वामपंथियों को स्टूडेंट्स की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है, उनका ध्यान सिर्फ लेनिन, स्टालिन और मार्क्स की विचारधारा को बनाए रखने में है, भले ही हॉस्टलों में पानी ना आए या वॉशरूम की छतें गिरती रहें। फंड कट और लोन मॉडल पर सवालजेएनयू में इस बार लेफ्ट के चार संगठन टूटकर दो पैनल में चुनाव लड़ रहे हैं। चुनावी प्रक्रिया के चार दिन तक अटकने पर यूनाइटेड लेफ्ट पैनल (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन- आइसा और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन - डीएसएफ) से प्रेजिडेंट कैंडिडेट नीतीश कुमार ‘पीएचडी’ ने कहा, एबीवीपी ने सोचा था कि जेएनयू के चुनाव को वो चंडीगढ़ मेयर का चुनाव बना देंगे मगर ये जेएनयू है जो झुकेगा नहीं। वक्फ संसोशन, सीएए-एनआरसी कानून का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जेएनयू में फंड कट करते हुए लोन मॉडल शुरू कर दिया गया है। इंजिनियरिंग स्टूडेंट्स के पास सुविधाएं नहीं हैं, तो कई लैब में केमिकल्स, इंस्ट्रूमेंट्स तक नहीं हैं। उन्होंने तमाम यूनिवर्सिटी में विरोध में बोलने पर स्टूडेंट्स के सस्पेंशन के खिलाफ भी आवाज उठाई। हैरेसमेंट की घटनाओं पर उठाए सवालस्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), बिरसा मुंडे फुले आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन (बापसा) और प्रोगेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन (पीएसए) के पैनल से प्रेजिडेंट प्रत्याशी चौधरी तैयबा अहमद ने जेएनयू परिसर में बढ़ती सेक्सुअल हैरासमेंट की घटनाओं को उठाते हुए फिर से GSCASH (जेंडर सेंसेटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट) को लागू करने की वकालत की। उन्होंने कहा, हम चुनाव जीतकर आते हैं तो कैंपस को सुरक्षित बनाने के लिए पुरजोर काम करेंगे। समाजवादी पार्टी की स्टूडेंट्स विंग समाजवादी छात्र सभा के प्रेजिडेंट प्रत्याशी अरविंद कुमार ने कहा, इस परिसर में सबसे खराब स्थिति अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स की है, उनके लिए आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
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