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Delhi News: चांदनी चौक में अतिक्रमण के मामले में PWD ने की मनमानी, दिल्ली हाईकोर्ट भी हैरान

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार के इस रुख पर हैरानी जताई कि उसने चांदनी चौक में अतिक्रमण के मुद्दे पर कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए अपनी खुद की एक समिति बना ली, जबकि कोर्ट ने इस पर उससे केवल सुझाव मांगे थे।चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने दिल्ली सरकार के स्थायी वकील समीर वशिष्ठ से यह बताने को कहा है कि पीडब्ल्यूडी द्वारा 26 मार्च, 2025 का आदेश कैसे जारी किया गया, क्योंकि यह इस अदालत के 18 फरवरी, 2025 के आदेश के विपरीत लगता है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के सीनियर अधिकारियों को वर्चुअली कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कहा है। हाईकोर्ट चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत लाल किला रोड से फतेहपुरी मस्जिद तक और मेट्रो स्टेशनों सहित इसके आसपास के इलाकों की स्थिति बहुत ज्यादा उपेक्षित, परेशान करने वाली और दयनीय होने का दावा किया। हाईकोर्ट ने 18 फरवरी के आदेश पर गौर कियाबुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने 18 फरवरी, 2025 के आदेश पर गौर किया, जिसमें उसने एक हाई लेवल कमिटी बनाने का सुझाव दिया था। सीनियर अधिकारियों और एक्सपर्ट्स वाली इस समिति का मकसद संबंधित इलाके का उचित प्रबंधन और संरक्षण करना था। समिति का काम संबंधित मामलों को संभालने के साथ-साथ इलाके के रखरखाव और संरक्षण के लिए एक योजना बनाना था। कोर्ट ने इस समिति के गठन के तरीके पर दोनों पक्षों से तीन हफ्तों के भीतर सुझाव मांगे थे। हाईकोर्ट रह गया हैरानहालांकि, हाई कोर्ट यह जानकर हैरान रह गया कि पीडब्ल्यूडी ने 26 मार्च, 2025 को ही अपनी एक हाई लेवल कमिटी बना ली । कोर्ट को बताया गया कि सरकार के आदेश में अदालत की पिछली टिप्पणियों को स्वीकार किया गया है, लेकिन इसने कोर्ट के आदेश के उस हिस्से को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जिसमें केवल समिति बनाने के लिए सुझाव मांगे गए थे, न कि सरकार को खुद समिति बनाने के लिए कहा गया था।हाई कोर्ट ने साफ किया कि उसने सुझाव इसलिए मांगे थे क्योंकि चांदनी चौक रोड (सुभाष मार्ग से फतेहपुरी मस्जिद तक) के लिए पिछली पुनर्विकास योजना उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर रही थी। सुझाव मांगने का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि अदालत द्वारा गठित समिति की कोई भी नई योजना मौजूदा योजनाओं के साथ टकराव न करे। मामले की सुनवाई 22 मई, 2025 को फिर से होनी है।
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