नई दिल्ली: सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) पर बैन लगे लगभग तीन साल हो गए हैं। लेकिन अब भी इस इस्तेमाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के ज्यादातर शहरों में खुलेआम हो रहा है। रेहड़ी-पटरियों, मंडियों के अलावा दुकानों, शोरूमों और रेस्टोरेंट्स में भी इन्हें देखा जा सकता है। जुलाई 2022 में लगे बैन के बाद कुछ महीनों तक इसका हल्का असर दिखा था, लेकिन अब एक बार फिर पहले वाली स्थिति नजर आ रही है। प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड, बलून की प्लास्टिक स्टिक, कैंडी की प्लास्टिक स्टिक, कटलरी जैसे चम्मच, ग्लास, स्ट्रॉ आदि समेत 19 आइटम बैन हुए थे। पूनम गौड़ की स्पेशल रिपोर्ट:दिल्ली के करोल बाग, सरोजनी नगर, लाजपत नगर, राजौरी गार्डन, कनॉट प्लेस, चांदनी चौक से लेकर लोकल मार्केट तक में इन प्रतिबंधित सामानों को इस्तेमाल होते देखा जा सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, न तो SUP के प्रतिबंधित आइटम पर बैन लागू हो रहा है, न ही इनके प्रोडक्शन पर प्रभावी रोक लगी है। छोटे व्यापारियों के लिए बैन हुए आइटम के सस्ते विकल्प भी अब तक उपलब्ध नहीं हैं। पॉलिथीन को छोड़ भी दें तो इन मार्केट में प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की कटलरी तक बड़ी संख्या में नजर आ रही है। बैन के बाद क्या हुई कार्रवाई?राजधानी में अर्बन लोकल बॉडी और DPCC (दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) इस बैन को एनफोर्स कर रहा है। एक अधिकारी के अनुसार, मार्च 2023 से मई 2024 तक प्रतिबंधित SUP के सामानों के इस्तेमाल के लिए 449 चालान किए गए। यह चालान लोकल अर्बन बॉडी ने किए। इसके तहत 14.16 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। DPCC की टीमों ने इस दौरान रूल तोड़ने वालों पर 1.49 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। इसमें 48 SUP मैनुफैक्चरर्स भी शामिल हैं। इस दौरान टीमों ने करीब 4540 यूनिट्स का निरीक्षण किया। इंडस्ट्रियल एरिया में जांच के आदेशएसयूपी को लेकर एनजीटी ने सभी अथॉरिटीज को नरेला इंडस्ट्रियल एरिया और इंडस्ट्रीज के निरीक्षण के आदेश दिए हैं। उन इंडस्ट्रीज को सील करने को कहा गया है, जो प्रतिबंधित SUP के आइटम बना रही हैं। साथ ही इसकी स्टेटस रिपोर्ट भी चार हफ्ते में सब्मिट करने को कहा है। टॉक्सिक लिंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबंधित SUP के आइटम का इस्तेमाल राजधानी के 88 प्रतिशत स्टोर्स और मार्केट में हो रहा है। यह स्टडी पांच शहरों दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, मुंबई, ग्वालियर और गुवाहाटी में की गई थी। क्या कहते हैं एक्सपर्टइंडिपेंडेंट रिसर्चर प्रीति महेश के अनुसार, प्रतिबंधित SUP के जब तक सस्ते विकल्प नहीं आएंगे, इनकी डिमांड बनी रहेगी। सड़क किनारे सामान बेचने वाले वेंडर प्रतिबंधित आइटमों का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) के प्रोग्राम मैनेजर सिद्धार्थ घनश्याम सिंह ने बताया कि प्लास्टिक को लेकर जिस तरह के पैकेजिंग नियम हैं, उससे पूरे प्लास्टिक को खत्म कर पाना काफी मुश्किल है। प्लास्टिक को रिसाइकल करने के लिए यह सबसे बड़ी अड़चन है। नॉर्वे से लेना चाहिए सबकएक्सपर्ट के अनुसार, इन मामले में नॉर्वे ने मिसाल कायम की है। नॉर्वे में सरकार की तरफ से प्लास्टिक और पैकेजिंग पर कोई रोक नहीं है। अगर वहां इस तरह के प्रोडक्ट रिसाइकल नहीं होते तो कंपनियों को बहुत भारी भरकम टैक्स देना होता है। इससे बचने के लिए खुद ही कंपनियों ने प्लास्टिक पैकेजिंग स्टैंडर्ड तय कर लिए हैं। कंपनियों का ग्रुप है और जो उस ग्रुप का हिस्सा नहीं है, वह बड़ा टैक्स दे रहा है। इसलिए 99 प्रतिशत कंपनियां इस स्टैंडर्ड को अपना रही हैं और एक ही तरह का प्लास्टिक और कलर में पैकेजिंग तैयार हो रही है। 13000 से अधिक केमिकल्सग्रीनपीस की 2024 की एक रिपोर्ट में रिसाइकल प्लास्टिक के नुकसानदायक होने का दावा किया गया था। प्लास्टिक में 13000 से अधिक केमिकल होते हैं। इनमें से 3200 इंसानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। अक्सर रिसाइकल प्लास्टिक में बहुत ज्यादा मात्रा में केमिकल होते हैं। प्लास्टिक कंटेनरों में भरे कीटनाशक, सफाई करने वाले सॉल्वैंट्स आदि पदार्थ रिसाइकल चेन में आने से प्लास्टिक को और नुकसानदेह बना सकते हैं। रिसाइकल में प्लास्टिक को गर्म करने की प्रक्रिया के दौरान हानिकारक केमिकल्स बढ़ते हैं। रिसाइकल करने वाले लोगों के लिए भी यह खतरा है। प्लास्टिक से बाढ़ का खतरा: स्टडीभारत समेत दुनिया भर के 218 करोड़ लोगों पर प्लास्टिक की वजह से बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। यह वो प्लास्टिक है तो ऐसे ही फेंके जाने के कारण नालियों में जमा हो रहा है। टेअरफंड और पर्यावरण परामर्श संगठन रिसोर्स फ्यूचर की 2024 में आई रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह से लोगों को बार बार बाढ़ सहनी होगी। मुंबई की 2005 की बाढ़ की वजह भी रिपोर्ट में इसी प्लास्टिक को माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के साथ उप सहारा अफ्रीका में इस तरह की बाढ़ का सबसे अधिक खतरा है। यहां बुनियादी ढांचे का अभाव है। नालियों की साफ सफाई की व्यवस्था भी नहीं है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित एशिया और अफ्रीका में रहने वाले लोग होंगे। 88% मार्केट में मिल रहा है SUPटॉक्सिक लिंक की 2024 एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिबंधित SUP के आइटम का इस्तेमाल राजधानी के 88 प्रतिशत स्टोर्स और मार्केट में हो रहा है। यह स्टडी पांच शहरों दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, मुंबई, ग्वालियर और गुवाहाटी में की गई थी। इस बैन में बताया गया था कि इसका सबसे अधिक असर प्लास्टिक स्टिरर (चाय कॉफी में चीनी मिलाने के लिए इस्तेमाल आने वाली प्लास्टिक की डंडी) और आइसक्रीम स्टिक पर दिखाई दे रहा है। प्रतिबंधित 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक की थैलियां सबसे अधिक वहीं बाजारों में 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक की थैलियों की भरमार है। 64 सर्वे पॉइंट्स पर इसका इस्तेमाल पाया गया। थर्माकोल के सजावटी सामानों पर बैन होने के बावजूद 74 प्रतिशत सर्वे पॉइंट्स में यह खूब बिक रहा था। इसी तरह गुब्बारे की प्लास्टिक की डंडियां 60 प्रतिशत जगहों में, प्लास्टिक स्टिक के ईयर बड़ 60 प्रतिशत जगहों में बेचे जा रहे थे। सर्वे पॉइंट में डिस्पोजेबल कप का इस्तेमाल 54 प्रतिशत, स्ट्रॉ का 45 और प्लेट्स का 43 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा था।
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