जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों को और बिगाड़ दिया है। सिंधु जल संधि और शिमला समझौते जैसे कई ऐतिहासिक समझौते अब दरकिनार हो चुके हैं। लेकिन एक समय था जब भारत और पाकिस्तान एक ही देश का हिस्सा थे। उसी दौर में एक ऐसी ऐतिहासिक सड़क बनाई गई थी, जिसने इन क्षेत्रों को जोड़ने का काम किया — सड़क-ए-आजम, जिसे आज ग्रांड ट्रंक रोड (GT Road) के नाम से जाना जाता है।
शेर शाह सूरी की दूरदर्शिता: 4000 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माणकरीब 400 साल पहले, जब आधुनिक सड़कों की कल्पना भी नहीं की गई थी, तब शेर शाह सूरी ने 1540 से 1545 के बीच एक भव्य सड़क का निर्माण कराया। इस सड़क ने पश्चिम में काबुल (आज का अफगानिस्तान) से लेकर पूर्व में बंगाल तक का इलाका जोड़ा। तब इसे सड़क-ए-आजम या शाही सड़क कहा जाता था। अंग्रेजों के शासनकाल में इसका नाम बदलकर ग्रांड ट्रंक रोड रख दिया गया और यह भारत की सैन्य और व्यापारिक गतिविधियों की जीवनरेखा बन गई।
कैसे बना यह मार्गबिना आधुनिक तकनीक के इस सड़क को पत्थर, मिट्टी और रोडियों से बनाया गया था। इसे बेहद समतल बनाया गया ताकि घोड़े, बैलगाड़ियां और शाही दूत तेजी से यात्रा कर सकें। शेर शाह सूरी ने इस सड़क के किनारे सराय (रेस्ट हाउस), पानी के तालाब और अस्तबल भी बनवाए, जो उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कदम था। माना जाता है कि इस निर्माण कार्य में 15,000 से 20,000 लोग लगे थे और इस प्रोजेक्ट पर शेर शाह ने अपनी आय का बड़ा हिस्सा खर्च किया था — अगर आज के हिसाब से देखा जाए तो हजारों करोड़ रुपये!
अकबरनामा में भी उल्लेखअबुल फजल द्वारा लिखे गए अकबरनामा में भी इस भव्य सड़क का वर्णन मिलता है। यह मार्ग काबुल, पेशावर, लाहौर, अमृतसर, दिल्ली, आगरा, इलाहाबाद (प्रयागराज), बनारस (वाराणसी), मुंगेर और सोनारगांव (बांग्लादेश) से होकर गुजरता था।
भारत-पाकिस्तान को जोड़ने वाली ऐतिहासिक सड़क1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद ग्रांड ट्रंक रोड का एक हिस्सा पाकिस्तान में चला गया, जो अटारी से काबुल तक फैला है। वहीं अटारी से कोलकाता तक का भाग भारत में रहा। अटारी-वाघा बॉर्डर पर आज भी यही सड़क दोनों देशों को जोड़ती है।
आज का NH-1: राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापार की मुख्य धुरीभारत में इस ऐतिहासिक सड़क के महत्व को देखते हुए इसे राष्ट्रीय राजमार्ग-1 (NH-1) का दर्जा दिया गया। आज NH-1 अमृतसर को दिल्ली और कोलकाता से जोड़ता है और रक्षा व व्यापारिक गतिविधियों के लिए बेहद अहम मानी जाती है।
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