कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़े लाखों कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आ रही है। संसद की स्थायी समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रति माह किया जाए। यदि यह सिफारिश लागू होती है, तो यह पेंशनधारकों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय होगा।
पिछली वृद्धि का संदर्भ
यह ध्यान देने योग्य है कि केंद्र सरकार ने 2014 में EPFO पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन को 250 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह किया था। यह निर्णय उस समय लाखों कर्मचारियों के लिए राहत का कारण बना था। लेकिन उसके बाद से इस राशि में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है।
महंगाई के चलते बढ़ी मांग
ट्रेड यूनियनों और पेंशनर्स संगठनों ने लंबे समय से न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये प्रति माह करने की मांग की है। उनका कहना है कि पिछले 11 वर्षों में जीवनयापन की लागत में भारी वृद्धि हुई है, और 1,000 रुपये की पेंशन अब अपर्याप्त हो चुकी है। इसलिए, पेंशन राशि को समय के अनुसार समायोजित करना आवश्यक हो गया है।
समिति की सिफारिशें
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, संसद की श्रम संबंधी स्थायी समिति ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत न्यूनतम पेंशन को तुरंत बढ़ाए। समिति ने यह भी बताया कि 2014 की तुलना में 2025 में महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है। इस स्थिति को देखते हुए मौजूदा पेंशन राशि अपर्याप्त है और इसमें उचित वृद्धि की आवश्यकता है।
EPS में योगदान की प्रक्रिया
कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि EPS में योगदान कैसे किया जाता है। जब कोई कर्मचारी प्राइवेट कंपनी में कार्यरत होता है, तो उसकी बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाते में जमा होता है। नियोक्ता भी समान राशि जमा करता है।
थर्ड पार्टी वैल्यूएशन
समिति ने यह भी बताया है कि EPS योजना की शुरुआत के 30 साल बाद अब इसका थर्ड पार्टी वैल्यूएशन किया जा रहा है। समिति ने सिफारिश की है कि इस प्रक्रिया को 2025 के अंत से पहले पूरा किया जाए, ताकि भविष्य में पेंशन नीतियों में पारदर्शिता और प्रभावशीलता लाई जा सके।
संभावित प्रभाव
यदि सरकार समिति की सिफारिश को स्वीकार करती है और न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये प्रति माह तक बढ़ाती है, तो इससे करोड़ों पेंशनर्स को सीधा लाभ होगा। खासकर वे लोग जो प्राइवेट सेक्टर में काम करते हुए रिटायर हुए हैं और अब कम पेंशन पर निर्भर हैं, उनके जीवन स्तर में सुधार हो सकता है।
निष्कर्ष
EPFO के तहत पेंशन में बढ़ोतरी की मांग अब निर्णायक मोड़ पर है। यदि श्रम संबंधी संसदीय समिति की सिफारिशें लागू होती हैं, तो यह कदम पेंशनर्स के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है। अब सभी की नजरें केंद्र सरकार पर हैं कि वह इस मांग पर क्या निर्णय लेती है।
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