इंटरनेट डेस्क। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि पाकिस्तान को हार के बाद भी जीत का दावा करने की आदत है। उन्होंने यह बात दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम समझौते के संदर्भ में कही। भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौते के लिए किसने हाथ बढ़ाया था, इस सवाल के जवाब में रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर से हुई तबाही के कारण पाकिस्तान ने हाथ बढ़ाया था। उन्होंने कहा कि जीत का दावा करना एक पुरानी आदत है। उन्होंने 1971, 1975 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी यही किया था। ढोल बजाने का पाकिस्तान का पुराना रवैय्या है। परास्त हो जाए लेकिन ढोल बजाओ।
पाकिस्तान के DGMO ने युद्ध विराम का किया आह्वानविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि उन स्थलों की सैटेलाइट तस्वीरें देखी जानी चाहिए जिन्हें पाकिस्तान ने भारत में नष्ट करने का दावा किया है और जिन्हें पाकिस्तान ने नष्ट कर दिया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि युद्ध विराम की अधिक आवश्यकता किसे है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक नई सामान्य बात है और वे किसी भी आतंकवादी कार्रवाई को बिना जवाब दिए नहीं जाने देंगे। उन्होंने कहा कि पहले की प्रेस ब्रीफिंग में भी रक्षा प्रवक्ताओं ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने 10 मई की सुबह अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया था और दोनों देशों से एक समझौते पर पहुंचने का अनुरोध किया था, क्योंकि भारतीय हमलों के कारण कई पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले बंद हो गए थे।
विदेशी देशों ने भी की पाकिस्तान की निंदाप्रेस ब्रीफिंग के दौरान जायसवाल ने कहा कि भारत अपनी शून्य-सहिष्णुता नीति के कारण सीमा पार आतंकवाद से निपटने के मामले में किसी भी परमाणु ब्लैकमेल का जवाब नहीं देगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना की कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र के भीतर थी और कई विदेशी देशों ने भी पाकिस्तान की निंदा की थी और भारत के जवाब देने के अधिकार की पुष्टि की थी।
PC :prokerala.com
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