ग्राम पंचायत सचिव होंगे बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी
बलरामपुर, 2 मई . जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने शुक्रवार को बताया है कि राज्य शासन द्वारा वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने हेतु लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश जारी किया गया है. राज्य शासन द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधान अनुसार बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की संख्या में वृद्धि कर जिला स्तर से ग्राम पंचायत स्तर तक बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी की अधिसूचना जारी की गई है. जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत को बाल विवाह मुक्त कर बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र जारी किया जाना है. ग्राम पंचायत स्तर पर प्रत्येक ग्राम पंचायत सचिव को बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम हेतु बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है.
सीईओ जिला पंचायत नयनतारा सिंह तोमर ने बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के समस्त ग्राम पंचायत सचिवों को अवगत कराया है कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नही अपितु कानूनन अपराध भी है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नहीं करते है तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते हैं. बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है. समाज में व्याप्त इस बुराई के पूर्णतः उन्मूलन हेतु जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकाय-पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संगठनों, महिला स्व सहायता समूहों, किशोर एवं किशोरी बालिकाओं तथा आमजनों से सहयोग प्राप्त कर इस प्रथा के उन्मूलन हेतु परिणाम मूलक कार्रवाई की जानी है.
ग्राम पंचायत सचिव सह बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत में विवाह पंजी संधारित की जानी है, जिससे ग्राम पंचायत क्षेत्र में आयोजित होने वाले समस्त विवाहों को विवाह पूर्व पंजीबद्ध किया जावे. इस पंजी के संधारण से ग्राम पंचायतों में होने वाले समस्त विवाहों का रिकॉर्ड रहेगा, जिससे बाल विवाह की जानकारी समय पूर्व प्राप्त हो सकेगी. पंजी के द्वारा प्रत्येक विवाह में वर-वधु की उम्र की का सत्यापन ग्राम पंचायत स्तर पर किया जाना है. प्रत्येक विवाह का पंजीयन अनिवार्य कराना चाहिए.
इस संबंध में ग्राम पंचायत-नगरीय निकाय व राजस्व विभाग के समन्वय से शत प्रतिशत विवाह पंजीयन हेतु कार्यवाही की जावेगी. ग्राम पंचायत के कोटवार द्वारा बाल विवाह नही करने, बाल विवाह के कानूनन अपराध होने के संबंध में मुनादी कराई जाए, जिससे सभी ग्रामीण जनों को पता चले कि बाल विवाह करना अपराध है. बाल विवाह की रोकथाम के लिए सूचना तंत्र का प्रभावी होना अत्यंत आवश्यक है.
जिले में कहीं पर भी बाल विवाह तय होने की सूचना मिलते ही प्रशासन को संबंधित परिवार को समझाइश देकर बाल विवाह रोकना है. बाल विवाह की सूचना चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, महिला हेल्पलाइन 181 व पुलिस हेल्पलाइन 112 में किये जाने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. सीईओ तोमर ने समस्त ग्राम पंचायत सचिवों को उक्त सुझावों को अमल में लाते हुए बाल विवाह रोकथाम के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं.
/ विष्णु पाण्डेय
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