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'विकसित कृषि संकल्प अभियान' में असम के किसान भागीदार बनें : भाकिसं

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गुवाहाटी, 27 मई . भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा आगामी 29 मई से 12 जून तक देशभर में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ नामक एक कार्यक्रम खरीफ कृषि अभियान के क्रियान्वयन से पूर्व चलाया जाएगा. इस अभियान का उद्देश्य देश के 700 जिलों में एक से 1.5 करोड़ किसानों को कृषि एवं इससे संबंधित क्षेत्रों के प्रति जागरूक करना है. असम प्रदेश में भी यह अभियान 26 जिलों, 3250 गांवों और पांच लाख से अधिक किसानों को शामिल करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया जाएगा. यह जानकारी मंगलवार काे गुवाहाटी के भरलुमुख स्थित आलोक भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भारतीय किसान संघ के प्रदेश संगठन सचिव कृष्णकांत बोरा ने दी.

उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत कृषि विभाग, संबंधित विभागों और कृषि वैज्ञानिकों को मिलाकर 52 टीमें गठित की गई हैं. खरीफ फसलों की उत्पादकता में सहायक टिकाऊ तकनीकों का प्रचार-प्रसार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर उर्वरकों का उपयोग, कृषि क्षेत्र की समस्याओं का अध्ययन और प्राथमिक अनुसंधान रूपरेखा बनाना इस अभियान के प्रमुख उद्देश्य हैं.

भारतीय किसान संघ ने पूर्व वर्षों में भी किसानों के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न सरकारी विभागों, प्रशासन और किसान समाज के सहयोग से सामूहिक प्रयास किए हैं. संघ का मानना है कि किसानों की मूलभूत समस्याओं के समग्र अध्ययन और सामूहिक प्रयासों के जरिये सक्षम, आत्मनिर्भर किसान और आत्मनिर्भर गांव की परिकल्पना साकार हो सकती है. प्रत्येक गांव यदि आत्मनिर्भर बने तो ही हम समृद्ध भारत की कल्पना कर सकते हैं.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय किसान संघ को इस अभियान में भाग लेने और सरकारी विभागों को किसान संघ को इसमें शामिल करने का आग्रह किया है. संघ ने इसके लिए केंद्रीय मंत्री का आभार जताया है और कृषि विभाग व आईसीएआर को शुभकामनाएं दी हैं. भारतीय किसान संघ की ग्राम स्तर की सभी समितियां इस अभियान में पूर्ण सहयोग करेंगी और असम के समस्त किसान समाज से अभियान में भाग लेकर लाभ उठाने का आग्रह किया गया है.

संवाददाता सम्मेलन में कृषक पंजीयन पोर्टल की समस्याओं पर किसान संघ की सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग की गई. जिनमें- असम के कई किसान भूमि पट्टे में अपना नाम न होने के कारण कृषक पंजीयन पोर्टल में पंजीकरण नहीं करवा पा रहे हैं. यदि किसान के माता, पिता या दादा का नाम पट्टे में हो तो भी पोर्टल में पंजीकरण की सुविधा दी जानी चाहिए. बस्ती भूमि पर तामूल, पान, नारियल, अदरक, हल्दी, फल आदि की खेती कर स्वावलंबी बनने वाले वास्तविक किसानों को भी पंजीयन की सुविधा दी जाए. इसके लिए भूमि का सीमांकन व सर्वे जरूरी है. जो किसान दूसरों से खरीदी गई जमीन पर खेती कर जीवन यापन कर रहे हैं, पर भूमि पट्टे में नाम न होने के कारण पोर्टल में नाम दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं, उन्हें जमीन क्रय दस्तावेज़ के आधार पर पंजीकरण की सुविधा मिले. जो किसान सत्रों या अन्य संस्थाओं से ली गई जमीन पर खेती कर रहे हैं, उन्हें लीज़ दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण का अधिकार दिया जाए. वन विभाग द्वारा दी गई भूमि पर खेती कर रहे वास्तविक खलिहानिया किसानों को भी पंजीकरण का अधिकार दिया जाए, बशर्ते उनके पास वैध दस्तावेज़ हों और भूमि स्वामित्व का प्रमाण हो आदि.

भारतीय किसान संघ ने सरकार से अनुरोध किया है कि उपरोक्त सभी समस्याओं का शीघ्र समाधान कर किसानों को पोर्टल से जोड़ने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जाएं.

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/ श्रीप्रकाश

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